तिल्दा के श्लोक अग्रवाल और साथियों ने निकाली उद्योग जगत में फैली समश्या का समाधान
रिपोर्ट संजय सेन
तिल्दा नेवरा निवाशी श्लोक अग्रवाल जो क्राईस्ट कॉलेज के छात्र है उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर उद्योगों और अन्य कारकों से बढ़ रहि पॉल्यूशन के निजात हेतू ग्रीनजैम्श के नई स्टार्टअप पर सोध किया है जिसमे ग्रीनजैम्स द्वारा धुआं, और उधोग के प्रदूषण को एकत्र कर बिल्डिंग कंट्रक्शन का एक उत्तम सुलभ मटेरियल बनाए जता है जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ उद्योगों की समस्या जिसमे धुआं व अन्य प्रदूषण कारक से निजात मिलती है
इन छात्रों ने अपने शोध में बताया कि जहां उद्योग ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बड़ा योगदान देता है, खासकर सीमेंट और स्टील उत्पादन के कारण क्योंकि इन्ही क्षेत्र में ही अधिक भारी प्रदूषण की समस्या आती है वही ग्रीनजैम कंट्रूशन मटेरियल बनाता है इनका बढ़ते शहरीकरण से इन सामग्रियों की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे समय में ग्रीन जैम्स जैसे स्टार्टअप पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान कर रहे हैं। ग्रीनजैम्स की शुरुआत तरुण जामी के व्यक्तिगत अनुभव से हुई, जब उन्होंने दिल्ली का भीषण स्मॉग देखा। उन्होंने और वरुण ने ऐसा उद्यम बनाया जो कृषि-कचरे और औद्योगिक अपशिष्ट को उपयोगी निर्माण सामग्री में बदलता है।मुख्य नवाचार – एग्रोक्रेट ग्रीनजैम्स का प्रमुख उत्पाद एग्रोक्रेट है,जो कृषि अवशेषों और औद्योगिक उप-उत्पादों से बनता है। यह पारंपरिक ईंटों की तुलना में कार्बन-निगेटिव है यानी यह अपने जीवनचक्र में उत्सर्जित कार्बन से अधिक अवशोषित करता है। छात्रों ने इनका प्रभाव पर शोध करते हुए बताया कि पर्यावरणीय: पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण घटता है, कार्बन कैप्चर होता है और सीमेंट-स्टील पर निर्भरता कम होती है।आर्थिक: किसानों को अतिरिक्त आय मिलती है और निर्माणकर्ताओं को 50% तक लागत बचत होती है।सामाजिक: ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलता है और सतत उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलता है।
मान्यता और उपलब्धियां
ग्रीनजैम्स को फ़ोर्ब्स एशिया 30 अंडर 30 (2019) में शामिल किया गया, क्लीन एनर्जी चैलेंज और सरकारी पहलों से सम्मान मिला। स्वतंत्र वैज्ञानिक सत्यापन ने इसके कार्बन-निगेटिव प्रभाव की पुष्टि की।निष्कर्षग्रीनजैम्स का उदाहरण दिखाता है कि वेस्ट-टू-वेल्थ मॉडल से पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समाज – तीनों को लाभ हो सकता है। जैसे-जैसे जलवायु संकट बढ़ेगा, ग्रीनजैम्स जैसी कंपनियों की भूमिका और महत्वपूर्ण होगी।
इस शोध को छात्र भवनु मरवाहा, कृष्णा कटारिया, जदित्य संदवार, श्लोक अग्रवाल– द्वारा किया गया है